पंचत्रिंशदधिकशतकम (135) अध्याय: द्रोण पर्व (जयद्रथवध पर्व)
महाभारत: द्रोण पर्व: पंचत्रिंशदधिकशतकम अध्याय: श्लोक 35-40 का हिन्दी अनुवाद
तब उन कौरवों ने कर्ण को चारों ओर से घेरकर भीमसेन पर झुकी हुई गाँठ वाले बाणों की वर्षा आरम्भ कर दी। राजन! यह देखकर भीमसेन ने पच्चीस बाणों का प्रहार करके सारथि और घोड़ों सहित भयंकर धनुष धारण करने वाले उन नरश्रेष्ठ राजकुमारों को यमलोक पहुँचा दिया। वे प्राण शून्य होकर सारथि के साथ रथों से नीचे गिर पड़े, मानो प्रचण्ड आँधी ने विचित्र पुष्प धारण करने वाले विशाल वृक्षों को उखाड़ कर धराशायी कर दिया हो। वहाँ हमने भीमसेन का यह अद्भुत पराक्रम देखा कि उन्होंने सूत पुत्र कर्ण को अपने बाणों द्वारा रोककर आपके पुत्रों को मार डाला। महाराज! भीमसेन के पैने बाणों द्वारा चारों ओर से रोके जाने पर भी सूत पुत्र कर्ण ने भीमसेन की ओर क्रोध पूर्वक देखा। इधर क्रोध से लाल आँखें किये भीमसेन भी अपने विशाल धनुष को फैलाकर कर्ण की ओर रोष पूर्वक बारंबार देखने लगे। इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्तर्गत जयद्रथ वध पर्व में भीमसेन का पराक्रम विषयक एक सौ पैंतीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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