अशीतितम (80) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: अशीतितम अध्याय: श्लोक 55-61 का हिन्दी अनुवाद
'शत्रुओं का संहार करने वाले वीर पुत्र! यह सारा समरांगण शोक, विस्मय और हर्ष से युक्त क्यों दिखायी देता है? यदि जानते हो तो मुझे बताओ। तुम्हारी माता किसलिये रणभूमि में आयी है? तथा इस नागराज कन्या उलूपी का आगमन भी यहाँ किसलिये हुआ है? मैं तो इतना ही जानता हूँ कि तुमने मेरे कहने से यह युद्ध किया है; परन्तु यहाँ स्त्रियों के आने क्या कारण है? यह मैं जानना चाहता हूँ।' पिता के इस प्रकार पूछने पर विद्वान मणिपुर नरेश ने पिता के चरणों में सिर रखकर उन्हें प्रसन्न किया और कहा– 'पिताजी! यह वृतान्त आप माता उलूपी से पूछिये।'
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में अश्वानुसरण प्रसंग में अर्जुन का पुनर्जीवन विषयक अस्सीवां अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|