अष्टादश (18) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: अष्टादश अध्याय: श्लोक 33-35 का हिन्दी अनुवाद
साधुशिरोमणे! उस वैराग्यवान पुरुष के लिये जो हितकर उपदेश है, उसका मैं यथार्थ रूप से वर्णन करूँगा। उसके लिये जो सनातन अविनाशी परमात्मा का उत्तम ज्ञान अभीष्ट है, उसका मैं वर्णन करता हूँ। विप्रवर! तुम सारी बातों को ध्यान देकर सुनो।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में अट्ठारहवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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