सप्तविंशत्यधिकद्विशततम (227) अध्याय: आदि पर्व (मयदर्शन पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: सप्तविंशत्यधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 39-47 का हिन्दी अनुवाद
अर्जुन के अभय-दान देने पर भगवान् श्रीकृष्ण ने नमुचि के भ्राता मयासुर को मारने की इच्छा त्याग दी और अग्निदेव ने भी उसे नहीं जलाया। वैशम्पायन जी कहते हैं- परमबुद्धिमान् अग्निदेव ने श्रीकृष्ण और अर्जुन के द्वारा इन्द्र के आक्रमण से सुरक्षित रहकर खाण्डववन को पंद्रह दिनों तक जलाया। उस वन के जलाये जाते समय अश्वसेन नाग, मयासुर तथा चार शांर्गक नाम वाले पक्षियों को अग्नि ने नहीं जलाया। इस प्रकार श्रीमहाभारत आदि पर्व के अन्तर्गत मयदर्शन पर्व में मय दानव की रक्षा विषयक दो सौ सत्ताईसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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