महाभारत आदि पर्व अध्याय 155 श्लोक 15-19

पंचपंचाशदधिकशततम (155) अध्‍याय: आदि पर्व (हिडिम्बवध पर्व)

Prev.png

महाभारत: आदि पर्व: पंचपंचाशदधिकशततम अध्‍याय: श्लोक 15-19 का हिन्दी अनुवाद


पुरुषों में सिंह के समान बलवान् पाण्‍डव इस पृथ्‍वी को जीतकर प्रचुर दक्षिणा से सम्‍पन्‍न राजसूय तथा अश्‍वमेघ आदि यज्ञों द्वारा भगवान का यजन करेंगे। वैशम्पायन जी कहते हैं-जनमेजय! यों कहकर महर्षि द्वैपायन ने इन सबको एक ब्राह्मण के घर में ठहरा दिया और पाण्‍डव श्रेष्‍ठ युधिष्ठिर से कहा- ‘तुम लोग यहाँ एक मास तक मेरी प्रतीक्षा करो। मैं पुन: आउंगा। देश और काल का विचार करके ही कोई कार्य करना चाहिये; इससे तुम्‍हें बड़ा सुख मिलेगा।' राजन्! उस समय सबने हाथ जोड़कर उनकी आशा स्‍वीकार की। तदनन्‍तर शक्तिशाली महर्षि भगवान् व्‍यास जैसे आये थे, वैसे ही चले गये।


इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत हिडिम्‍ब पर्व में पाण्‍डवों का एकचक्रानगरी में प्रवेश और व्‍यास जी का दर्शनीय विषयक एक सौ पचपनवां अध्‍याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः