द्वाविंशत्यलधिकशततम (122) अध्याय: आदि पर्व (सम्भव पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: द्वाविंशत्यलधिकशततम अध्याय: श्लोक 71-78 का हिन्दी अनुवाद
'आर्यपुत्र! आपत्ति काल में भी तीन से अधिक चौथी संतान उत्पन्न करने की आज्ञा शास्त्रों ने नहीं दी है। इस विधि के द्वारा तीन से अधिक चौथी संतान चाहने वाली स्त्री स्वैरिणी होती है और पांचवें पुत्र के उत्पन्न होने पर वह कुलटा समझी जाती है। विद्वन्! आप धर्म को जानते हुए भी प्रमाद से कहने वाले के समान धर्म का लोप करके अब फिर मुझे संतानोत्पत्ति के लिये क्यों प्रेरित कर रहे हैं।' पाण्डु ने कहा- प्रिये! वास्तव में धर्मशास्त्र का ऐसा ही मत है। तुम जो कुछ कहती हो, वह ठीक है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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