महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 30 श्लोक 59-67

त्रिंश (30) अध्‍याय: अनुशासन पर्व (दानधर्म पर्व)

Prev.png

महाभारत: अनुशासन पर्व: त्रिंश अध्याय: श्लोक 59-67 का हिन्दी अनुवाद


ऋग्वेद में महामना गृत्समद की श्रेष्ठ श्रुति विद्यमान है। राजन! वहाँ ब्राह्मण लोग गृत्समद का बड़ा सम्मान करते हैं। ब्रह्मर्षि गृत्समद बड़े तेजस्वी और ब्रह्मचारी थे। गृत्समद के पुत्र सुचेता नाम के ब्राह्मण हुए। सुचेता के पुत्र वर्चा और वर्चा के पुत्र विहव्य हुए। विहव्य के पुत्र का नाम वितत्य था। वितत्य पुत्र सत्य और सत्य के पुत्र सन्त हुए। सन्त के पुत्र महर्षि श्रवा, श्रवा के तम और तम के पुत्र द्विजश्रेष्ठ प्रकाश हुए। प्रकाश का पुत्र विजयशीलों में श्रेष्ठ वागिन्द्र था। वागिन्द्र के पुत्र प्रमिति हुए, जो वेदों और वेदांगों के पारंगत विद्वान थे। प्रमिति के घृताची अप्सरा से रुरु नामक पुत्र हुआ। रुरु से प्रमद्वरा के गर्भ से ब्रह्मर्षि शुनक का जन्म हुआ, जिनके पुत्र शौनक मुनि हैं।

राजेन्द्र! क्षत्रिय शिरोमणि! इस प्रकार राजा वीतहव्य क्षत्रिय होकर भी भृगु के प्रसाद से ब्राह्मण हो गये। महाराज! इसी तरह मैंने गृत्समद के वंश का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। अब और क्या पूछ रहे हो?


इस प्रकार श्रीमहाभारत अनुशासन पर्व के अन्तर्गत दानधर्म पर्व में वीतहव्य का उपाख्यान नामक तीसवां अध्याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः