षट् सप्तत्यधिकशततम (176) अध्याय: आदि पर्व (चैत्ररथ पर्व)
महाभारत: आदि पर्व:षट् सप्तत्यधिकशततम अध्याय: श्लोक 40-47 का हिन्दी अनुवाद
तत्पश्चात् भगवन् भक्त महर्षि वसिष्ठ ने ॠतुकाल में शास्त्र की अलौकिक विधि के अनुसार महारानी के साथ नियोग किया। तदनन्तर रानी की कुक्षि में गर्भ स्थापित हो जाने पर उक्त राजा से वन्दित हो (उनसे विदा लेकर) मुनिवर वसिष्ठ अपने आश्रम को लौट गये। जब बहुत समय बीतने के बाद (भी) वह गर्भ बाहर न निकला, तब यशस्विनी रानी (मदयन्ती) ने अश्म (पत्थर) से अपने गर्भाश्य पर प्रहार किया। तदनन्तर बाहरवें वर्ष में बालक का जन्म हुआ। वही पुरुषश्रेष्ठ राजर्षि अश्मक नाम से प्रसिद्ध हुआ, जिन्होंने पौदन्य नाम का नगर बसाया था। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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