रेवती | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रेवती (बहुविकल्पी) |
रेवती पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार स्कन्द का एक ग्रह है।
- महाभारत वन पर्व के अनुसार मार्कण्डेय जी कहते हैं- कि स्कन्द के शरीर से अग्नि के समान तेजस्वी तथा परम कान्तिमान एक पुरुष प्रकट हुआ, जो समस्त मानव प्रजा को खा जाने की इच्छा रखता था। वह पैदा होते ही भूख से पीड़ित हो सहसा अचेत होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा। फिर स्कन्द की आज्ञा से वह भयंकर रुपधारी ग्रह हो गया। श्रेष्ठ द्विज। इस ग्रह को ‘स्कन्दापस्मार’ कहते हैं। इसी प्रकार अत्यन्त रौद्र रुप धारण करने वाली विनता को ‘शकुनि ग्रह’ बताया जाता है। पूतना को राक्षसी बताया गया है, उसे ‘पूतनाग्रह’ समझना चाहिये। वह भयंकर रुप धारण करने वाली निशाचारी बड़ी क्रूरता के साथ बालकों को कष्ट पहुचाती है। इसके सिवा भयानक आकार वाली एक पिशाची है, जिसे ‘शीतपूतना’ कहते है, वह देखने में बड़ी डरावनी है। वह मानवी स्त्रियों का गर्भ हर ले जाती है। लोग अदिति देवी को रेवती कहते हैं। रेवती के ग्रह का नाम रैवत है। वह महाभयंकर महान ग्रह भी बालकों को बड़ा कष्ट देता है। दैत्यों की माता जो दिति है, उसे ‘मुखमणिडका’ कहते हैं। वह छोटे बच्चों के मांस से अधिक प्रसन्न होती है। उसे पराजित करना अत्यन्त कठिन है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 92 |
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