दत्तात्रेय शीघ्र कृपा करने वाले देव की साक्षात मूर्ति कहे जाते हैं। इनके पिता अत्रि ऋषि और माता अनुसूया थीं।
- अत्रि और अनुसूया पर प्रसन्न होकर तीनों देवों- ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने उन्हें वरदान दिया। ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, शंकर के अंश से दुर्वासा तथा विष्णु के अंश से "दत्तात्रेय" का जन्म हुआ। इन्हीं के आविर्भाव की तिथि 'दत्तात्रेय जयंती' कहलाती है।
- परम भक्त वत्सल दत्तात्रेय, भक्त के स्मरण करते ही उसके पास पहुँच जाते हैं। इसीलिए इन्हें 'स्मृतिगामी' तथा 'स्मृतिमात्रानुगन्ता' भी कहा गया है।
- दत्तात्रेय विद्या के परम आचार्य हैं। भगवान दत्त जी के नाम पर 'दत्त संप्रदाय' दक्षिण भारत में विशेष प्रसिद्ध है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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