वसुदान (राजर्षि)

Disamb2.jpg वसुदान एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- वसुदान (बहुविकल्पी)

वसुदान का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह एक चक्रवर्ती राजर्षि थे, जिनकी राजधानी अयोध्या थी। इनके द्वारा किए गये हवन से निकलने वाली दूध, घी व जल की धाराओं से कपिला नदी का निर्माण हुआ था।

  • राजर्षि वसुदान ने अमरेश्वर तीर्थ में एक हवन किया, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का एक साथ पूजन हुआ। उस हवन के होम से दूध और घी की अलग अलग धाराएँ बह निकलीं और गौमूत्र की भी एक धारा बह चली। ऋषि मुनियों ने देवताओं का जो स्नान कराया उस जल की भी एक धारा बह चली। इन सब धाराओं के योग से एक नदी बन गयी, जिसका नाम कपिला पड़ा।
  • कपिला और नर्मदा का संगम 'रुद्रावर्त्त तीर्थ' के नाम से विख्यात हुआ।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 459 |


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