जमदग्नि

जमदग्नि एक परम तेजस्वी ऋषि थे, जो 'भृगुवंशी' ऋचीक के पुत्र थे। इनकी गणना 'सप्तऋषियों' में होती है। इनकी पत्नी राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका थीं। भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र परशुराम थे, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

परिचय

जमदग्नि भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे। इनकी पत्नी का नाम रेणुका था, जो राजा प्रसेनजित की पुत्री थीं। जमदग्नि ने अपनी तपस्या एवं साधना द्वारा उच्च स्थान प्राप्त किया था, जिससे सभी उनका आदर सत्कार करते थे। जमदग्नि तपस्वी और तेजस्वी ऋषि थे। उनके और रेणुका के पाँच पुत्र थे- 'रुमणवान', 'सुषेण', 'वसु', 'विश्ववानस' और 'परशुराम'।

पत्नी वध सम्बंधित पौराणिक कथा

ऋषि जमदग्नि की पत्नि रेणुका एक पतिव्रता एवं आज्ञाकारी स्त्री थीं। वह अपने पति के प्रति पूर्ण निष्ठावान थीं, किंतु एक गलती के परिणामस्वरूप दोनों के संबंधों में अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिस कारण ऋषि ने उन्हें मृत्यु दण्ड दिया। कथा के अनुसार एक बार रेणुका जल लेने के लिए नदी पर गईं, जहाँ पर चित्ररथ नामक एक गंधर्व अप्सराओं के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। उसे देखकर रेणुका उस पर आसक्त हो गईं। जल लाने में विलंब हो जाने से यज्ञ का समय समाप्त हो गया। तब मुनि जमदग्नि ने अपनी योगशक्ति द्वारा पत्नी के मर्यादा विरोधी आचरण को देखकर अपने पुत्रों को माता का वध करने की आज्ञा दी; परंतु पिता की इस आज्ञा को तीन पुत्रों ने मानने से इंकार कर दिया, केवल परशुराम ही इस कार्य के लिए तैयार हुए। तब जमदग्नि ने अपने इन तीन पुत्रों को पाषाण हो जाने का शाप देकर उन्हें संज्ञाहीन कर दिया। पिता की आज्ञास्वरूप परशुराम माँ का वध कर देते हैं। परशुराम की पितृभक्ति देखकर पिता जमदग्नि उन्हें वर माँगने को कहते हैं और परशुराम पिता से वरदान माँगते हैं कि- "वह उनकी माता को क्षमा कर उन्हें जीवित कर दें तथा सभी भाईयों को भी चेतना युक्त कर दें।" इस प्रकार उनके वरदानस्वरूप उनकी माता एवं भाई दोबारा जीवन प्राप्त करते हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः