सहस्त्रपाद

सहस्रपाद का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार ये एक प्राचीन ऋषि का नाम है, जो शापवश डुंडुभ सर्प हो गये थे।

  • इन्होंने रुरु को अपना परिचय दिया था।[1]
  • महाभारत आदि पर्व के अनुसार ये रुरु के द्वारा सर्पसत्र के सम्बन्ध में जिज्ञासा करने पर 'तुम ब्राह्मणों के मुख से आस्तीक का चरित्र का सुनोगे' ऐसा कहकर ये अन्तर्धान हो गये थे।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 516 |

  1. महाभारत आदि पर्व 10.7
  2. महाभारत आदि पर्व 12.3

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः