प्रमथ | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- प्रमथ (बहुविकल्पी) |
प्रमथ का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। भागवत पुराण और वायु पुराण के अनुसार ये शिव के एक प्रकार के गण अथवा पारिषद है,[1] जिनकी संख्या छत्तीस करोड़ बतायी गयी है।
- ब्रह्माण्ड पुराण और भागवत पुराण के अनुसार ये दुष्ट दृष्टिवाले[2] रुद्र[3] तथा दक्षिण अग्नि के अनुयायी कहे गये हैं।[4]
- मत्स्य पुराण के अनुसार इनकी मुखाकृति क्रूर पशुओं की तरह है।[5]
- कालिकापुराणानुसार इनमें से कुछ तो भोगविमुख हैं और कुछ भोगपरायण। ये नंदी के नेतृत्व में असुरों से लड़े थे।[6]
- भागवत पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार ये बाणासुर की राजधानी में ये श्रीकृष्ण से परास्त हुए थे।[7]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 335 |
- ↑ भागवत पुराण 4.2.15; 5.5.21; वायु पुराण 39.43; 72.50
- ↑ ब्रह्माण्ड पुराण 3.10.51; 42.33; भागवत पुराण 6.8.25
- ↑ रुद्र भगवान शिव का ही एक नाम है।
- ↑ भागवत पुराण 10.63.6; 66.30
- ↑ मत्स्य पुराण135.33
- ↑ मत्स्य पुराण 136.19, 34, 67; 137.1, 138.10.55
- ↑ भागवत पुराण 10.37.13; 85.41; विष्णु पुराण 5.33.13, 24, 27, 34, 40
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