उच्चैश्रवा | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उच्चैश्रवा (बहुविकल्पी) |
उच्चैश्रवा हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक अश्व था, जो समुद्र-मन्थन से निकला चतुर्थ रत्न था।
- यह अश्व समुद्र मंथन के दौरान जो चौदह वस्तुएँ प्राप्त हुई थीं, उनमें से एक था। इसे देवराज इन्द्र को दे दिया गया था।
- उच्चैश्रवा के कई अर्थ हैं, जैसे- जिसका यश ऊँचा हो, जिसके कान ऊँचे हों अथवा जो ऊँचा सुनता हो।
- मुख्य रूप से उच्चैश्रवा को इन्द्र के अश्व के रूप में ही जाना जाता है।
- देवराज इन्द्र के इस अश्व का वर्ण श्वेत है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 22 |
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