सहस्रचित्य का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार ये एक प्राचीन नरेश का नाम है।
- इन्होंने एक ब्राह्मण के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।[1]
- महाभारत आश्रमवासिक पर्व के अनुसार ये महान तेजस्वी नरेश केकय देश की प्रजा का पालन करते थे।
- ये अपने परम धर्मात्मा ज्येष्ठ पुत्र को राज्य का भार सौंपकर वन में तपस्या करने चले गये थे।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 516 |