पार्वती हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हिमनरेश हिमावन तथा मैनावती की पुत्री हैं, तथा भगवान शिव की पत्नी हैं। ये भूतपूर्व सती तथा आदिशक्ति थी। इन्हीं को उमा, गिरिजा और शिवा भी कहते हैं।
- पार्वती ने शिव जी को वरण करने के लिए कठिन तपस्या की थी और अंत में नारद के परामर्श से ये उनसे ब्याही गई। इन्हीं के पुत्र कार्तिकेय ने तारक का वध किया था। स्कंद पुराण[1] के अनुसार ये पहले कृष्णवर्ण थीं किंतु अनरकेश्वर तीर्थ में स्नान कर शिवलिंग की दीपदान करने से, बाद में गौर वर्ण की हो गईं। पर्वतकन्या एवं पर्वतों की अधिष्ठातृ देवी होने के कारण इनका पार्वती नाम पड़ा। ये नृत्य के दो मुख्य भेदों में मृदु अथवा लास्य की आदिप्रवर्तिका मानी जाती हैं।
- पार्वती को माता दुर्गा का रूप कहा जाता है।
- ‘पर्व’ शब्द तिथिभेद (पूर्णिमा), पर्वभेद, कल्पभेद तथा अन्यान्य भेद अर्थ में प्रयुक्त होता है तथा ‘ती’ शब्द ख्याति के अर्थ में आता है। उन पर्व आदि में विख्यात होने से उन देवी की ‘पार्वती’ संज्ञा है। ‘पर्वन’ शब्द महोत्सव-विशेष के अर्थ में आता है। उसकी अधिष्ठात्री देवी होने के नाते उन्हें ‘पार्वती’ कहा गया है। वे देवी पर्वत (गिरिराज हिमालय) की पुत्री हैं। पर्वत पर प्रकट हुई हैं तथा पर्वत की अधिष्ठात्री देवी हैं। इसलिये भी उन्हें ‘पार्वती’ कहते हैं।[2]
- पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा के कई अन्य नाम-
दुर्गा | नारायणी | ईशाना |
विष्णुमाया | भगवती | सर्वाणी |
सर्वमंगला | अम्बिका | शिवा |
सती | नित्या | सत्या |
वैष्णवी | गौरी | पार्वती |
सनातनी |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्कंद पुराण 5/1/30
- ↑ ब्रह्म वैवर्त पुराण पृ. 390