इलावर्त हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुसार ऋषभदेव तथा जयन्ती के सौ पुत्रों में से एक थे।
- इनके भ्राता भरत, कुशावर्त, ब्रह्मावर्त्त, मलय, केतु, भद्रसेन, इंद्रस्पृक, विदर्भ और कीकट थे, जो प्रथक प्रथक देशों के नरेश थे। इनके देश इनके नाम से ही प्रसिद्ध हुए। यह सभी नरेश तपस्वी व भगवद्भक्त थे।
- उपरोक्र राजकुमारों के अतिरिक्त, कवि, हरि, अंतरिक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रमिल, चमस और करभाजन नाम के राजकुमार योगी एवं संन्यासी हो गए, बाकी इक्यासी वेदज्ञ वेदान्ती, कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे।[1]