हृषी

अग्नि और चन्द्रमा को सम्मलित रूप से हृषी भी कहा जाता है।

  • सूर्य और चन्द्रमा ही अग्नि एवं सोम हैं। वेजगत को हर्ष प्रदान करने के कारण-‘हृषी’ कहलाते हैं। वे ही भगवान के केश अर्थात किरणें हैं, इसलिये भगवान का नाम ‘हृषीकेश’ है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 123 |

  1. महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 342 श्लोक 62-76

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