सुरभिमान हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुसार एक अग्नि का नाम था।[1]
- 'महाभारत वन पर्व' के उल्लेखानुसार यदि अग्निहोत्र सम्बन्धी अग्नि को कोई रजस्वला स्त्री छू दे, तो वसुमान अग्नि के लिये मिट्टी के आठ पुरवों में संस्कृत चरु द्वारा आहुति देनी चाहिये। यदि किसी प्राणी का मृत्युसूचक विलाप आदि सुनायी दे अथवा कुकुर आदि पशु उस अग्नि का स्पर्श कर ले, तो उस दशा में मिट्टी के आठ पुरवों में संस्कृत पुरोडाश द्वारा 'सुरभिमान' नामक अग्नि की प्रसन्नता के लिये होम करना चाहिये।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 118 |
- ↑ महाभारत वन पर्व अध्याय 221 श्लोक 15-28