ओघवती (ओघवान कन्या)

Disamb2.jpg ओघवती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- ओघवती (बहुविकल्पी)

ओघवती पुराणों में उल्लेखित राजा नृग के पितामह ओघवान की कन्या थी। महाभारत अनुशासन पर्व में भी इसका उल्लेख है। ओघवती देवकन्‍या के समान सुन्‍दर थी। ओघवान ने अपनी इस पुत्री को विद्वान सुदर्शन को पत्नी बनाने के लिये दे दिया था।

  • राजा नृग के पितामह ओघवान इस पृथ्‍वी पर राज्‍य करते थे। उनके ओघवती नाम वाली एक कन्‍या और ओघरथ नाम वाला एक पुत्र था।
  • ओघवती परम सुन्दरी थी। ओघवान ने अपनी कन्या को विद्वान सुदर्शन को सौंप दिया था। सुदर्शन उसके साथ गृहस्‍थ-धर्म का पालन करने लगे। उन्‍होंने ओघवती के साथ कुरुक्षेत्र में निवास किया।
  • उद्दीप्‍त तेज वाले उस बुद्धिमान सुदर्शन ने यह प्रतिज्ञा कर ली कि- "मैं गृहस्‍थ-धर्म का पालन करते हुए ही मृत्‍यु को जीत लूँगा।"
  • अग्निकुमार सुदर्शन ने ओघवती से कहा- "देवि! तुम्‍हें अतिथि के प्रतिकूल किसी तरह का कोई कार्य नहीं करना चाहिये। जिस-जिस वस्‍तु से अतिथि संतुष्‍ट हो, वह वस्‍तु तुम्‍हें सदा ही उसे देनी चाहिये। यदि अतिथि के संतोष के लिये तुम्‍हें अपना शरीर भी देना पड़े तो मन में कभी अन्‍यथा विचार न करना।"


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 28 |


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