मूक | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मूक (बहुविकल्पी) |
मूक नामक एक दैत्य का उल्लेख महाभारत में मिलता है।[1] जब कुंती पुत्र अर्जुन दिव्यास्त्रों की प्राप्ति हेतु शिव की तपस्या कर रहे थे, तब मूक दैत्य एक शूकर का रूप धारण कर वहाँ आया था।
- दैत्य मूक की हुंकार से तपस्यारत अर्जुन का ध्यान भंग हो गया और उनके नैत्र खुल गए।
- जब मूक ने अर्जुन पर आक्रमण किया, तब किरातभेषधारी भगवान शिव तथा अर्जुन द्वारा इस दैत्य का वध हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 88 |