अग्निष्वात्ता हिन्दू पौराणिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार पितरों का एक गण है।
- वेदज्ञ ब्राह्मण वैदिक यज्ञकर्म आदि में जिन 49 अग्नियों के नामों से आग्नेयी इष्टियाँ करते हैं, वे ये ही हैं। 'अग्निष्वात्ता', 'बर्हिषद्', 'सोमप' और 'आज्यप' - ये पितर हैं; इनमें साग्निक भी हैं और निरग्निक भी।
- पितरों की नौ कोटियाँ दी गई हैं-
- अग्निष्वात्ता:
- बर्हिषद:
- आज्यपात्
- सोमपा:
- रश्मिपा:
- उपहूता:
- आयन्तुन:
- श्राद्धभुज:
- नान्दीमुखा:
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 10 |