कक्षीवान

कक्षीवान के पिता का नाम दीर्घतमस तथा माता का नाम उशिज था। राजा स्वनय कक्षीवान की सुन्दरता पर इतने मोहित हुए थे कि उन्होंने अपनी दसों पुत्रियों का विवाह कक्षीवान से कर दिया।

  • कक्षीवान ने अनेक प्रकार के यज्ञ सम्पन्न किए थे, जिससे प्रसन्न होकर इन्द्र ने उन्हें 'वृचया' नामक पत्नी प्रदान की थी।
  • कक्षीवान अपना विद्याध्ययन समाप्त करके अपने घर की ओर जा रहे थे। अत्यधिक चलने के कारण वे मार्ग में थककर वहीं भूमि पर एक पेड़ के नीचे सो गये। उसी मार्ग से राजा स्वनय अपने भावयव्य दल-बल सहित वहाँ से जा रहा था। तीव्र कोलाहल से सोते हुये ऋषि कक्षीवान की नींद खुल गई। राजा स्वनय तथा उनकी पत्नी मुग्ध भाव से कक्षीवान को देख रहे थे। जब वह उठा तब राजा ने उसके गोत्र के विषय में पूछा। स्वगोत्र से कोई विरोध न पाकर राजा ने अपनी दसों पुत्रियों का विवाह कक्षीवान से कर दिया। दस रथ और एक हज़ार साठ गायें कक्षीवान को उपहार स्वरूप दी गईं। गायों की पंक्तियों के पीछे दस रथ लेकर कक्षीवान अपने पितृगृह पहुँचे। अपने कुटुम्बियों को गायों, रथों आदि का दान किया और फिर इन्द्र की स्तुति की। कक्षीवान की स्तुति से प्रसन्न होकर इन्द्र ने उन्हें वृचया नाम की पत्नी प्रदान कर दी।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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