सृंजय | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सृंजय (बहुविकल्पी) |
सृंजय का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार यह महाराज श्विति के पुत्र तथा पर्वत और नारद दोनों ऋषियों के मित्र थे।[1]
- महाभारत द्रोण पर्व के अनुसार इनकी एक पुत्री थी जो नारद को ब्याही थी।
- नारद के वर से इन्हें सुवर्णष्ठीवी नामक एक पुत्र हुआ था, जिसका मूत्र, थूक सभी सुवर्णमय होता था, अत: इन्हें चोर उठा ले गये और मार दिया।[2] पर नारद मुनि ने पुन: जीवित कर दिया था।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 537 |
- ↑ महाभारत आदि पर्व 1.225; महाभारत सभा पर्व 8.15; महाभारत द्रोण पर्व 55.5
- ↑ महाभारत द्रोण पर्व 55.13-24
- ↑ महाभारत द्रोण पर्व 71.8; ब्रह्म वैवर्त पुराण
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