रथप्रभु

रथप्रभु नामक एक अग्नि का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। 'वीर', 'रथध्वान' तथा 'कुम्भरेता' ये इनके नामांतर से अन्य नाम हैं।

'महाभारत वन पर्व'[1] के उल्लेखानुसार, शंयु के पहले पुत्र भरद्वाज की पत्‍नी का नाम वीरा था, जिसने 'वीर' नामक पुत्र को शरीर प्रदान किया। ब्राह्मणों ने सोम की ही भाँति वीर की भी आज्‍य भाग से पूजा बतायी है। इनके लिये आहुति देते समय मन्‍त्र का उपांशु उच्‍चारण किया जाता है। सोम देवता के साथ इन्‍हीं को द्वितीय आज्‍य भाग प्राप्‍त होता है। इन्‍हें ‘रथप्रभु’, ‘रथध्वान’ और ‘कुम्भरेता’ भी कहते हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 90 |

  1. महाभारत वन पर्व अध्याय 219 श्लोक 1-14

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