मित्रसह

मित्रसह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। 'सौदास' या 'कल्माषपाद' को मित्रसह भी कहा गया है। ये वशिष्ठ के शाप से राक्षस हुए थे। राक्षसावस्था में एक ब्राह्मणी के पति को खा जाने से उसके शापवश अनपत्य[1] थे।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 423 |

  1. संतानहीन, जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो।
  2. भागवत पुराण 9.9.18, 35; ब्रह्मांड पुराण 3.63.176; वायु पुराण 88.176

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