सर्प

सर्प

सर्प या सांप, पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। यह जल तथा थल दोनों जगह पाया जाता है।

  • सर्प का शरीर लम्बी रस्सी के समान होता है जो पूरा का पूरा स्केल्स से ढँका रहता है। साँप के पैर नहीं होते हैं। यह निचले भाग में उपस्थित घड़ारियों की सहायता से चलता फिरता है।
  • सर्प की आँखों में पलकें नहीं होती, ये हमेशा खुली रहती हैं। साँप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के होते हैं।
  • सर्प की ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। इसके मुँह में विष की थैली होती है जिससे जुड़े दाँत तेज़ तथा खोखले होते हैं अतः इसके काटते ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है।
  • महाभारत में जनमेजय के सर्प यज्ञ में अनेक सर्पो का वर्णन किया गया है।
  • सर्प का एक नाम नाग भी है।
  • सर्प भगवान शिव के गले का हार है, भगवान शिव का सर्प से विशेष लगाव माना जाता है।
  • मान्याताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा बिना नाग की पूजा के अधुरी मानी जाती है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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