होलिका

होलिका हिरण्यकशिपु नामक दैत्य की बहन और प्रह्लाद नामक विष्णु के भक्त की बुआ थी। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। इस वरदान का लाभ उठाने के लिए विष्णु-विरोधी हिरण्यकशिपु ने उसे आज्ञा दी कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर जाए, जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए। होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया। ईश्वर कृपा से प्रह्लाद तो बच गया किंतु होलिका जलकर भस्म हो गई। होलिका के अंत की खुशी में ही 'होली' का उत्सव मनाया जाता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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