रुद्रसुता का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है, जिसके अनुसार यह अंगिरा की तीसरी पुत्री थी।
- महाभारत वन पर्व के उल्लेखानुसार इनको 'सिनीवाली' (चतुर्दशीयुक्ता अमावास्या) भी कहा गया है, जो अत्यन्त कृश होने के कारण कभी दिखती है और कभी नहीं दिखती है, इसीलिये लोग उसे 'दृश्यादृश्या' कहते हैं। भगवान रुद्र उसे ललाट में धारण करते हैं, इस कारण सब लोग उन्हें ‘रुद्रसुता’ भी कहते हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 92 |