हिरण्यकशिपु दैत्यों का महाबलशाली राजा था। उसने कठोर तपस्या के बल पर ब्रह्मा से यह वर प्राप्त किया था कि- "कोई भी मनुष्य, स्त्री, देवता, पशु-पक्षी, जलचर इत्यादि, न ही दिन में और न ही रात्रि में, न घर के बाहर और न घर के भीतर, किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से उसे मार नहीं पायेगा।"
- यह वरदान प्राप्त कर हिरण्यकशिपु अपनी अमरता के उन्माद में सब पर अनेकों प्रकार से अत्याचार करने लगा था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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