सुदर्शना का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह इक्ष्वाकुवंशी दुर्योधन तथा देवनदी नर्मदा की पुत्री थी। सुदर्शना का विवाह अग्निदेव से हुआ था। इसके पुत्र का नाम सुदर्शन था।
- 'महाभारत अनुशासन पर्व' के उल्लेखानुसार एक समय शीतल जल वाली पवित्र एवं कल्याणमयी देवनदी नर्मदा पुरुषसिंह इक्ष्वाकुवंशी राजा दुर्योधन को सम्पूर्ण हृदय से चाहने लगी और उसकी पत्नी बन गयी।
- उस नदी के गर्भ से राजा के द्वारा एक कमललोचना कन्या उत्पन्न हुई, जो नाम से तो सुदर्शना था ही, रूप से भी वह सुदर्शना (सुन्दर एवं दर्शनीय) थी। दुर्योधन की वह सुन्दर वर्णवाली पुत्री जैसी रूपवती थी, वैसी रूप-सौन्दर्यशालिनी स्त्री नारियों में पहले कभी नहीं हुई थी।
- राजकन्या सुदर्शना पर साक्षात अग्निदेव आसक्त हो गये और उन्होंने राजा से उस कन्या को माँगा।[1]
- अग्नि ने वेदोक्त विधि से राजकन्या सुदर्शना को उसी प्रकार ग्रहण किया, जैसे वे यज्ञ में वसुधारा ग्रहण करते हैं।
- सुदर्शना के रूप, शील, कुल, शरीर की आकृति और कान्ति को देखकर अग्निदेव बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उसमें गर्भाधान करने का विचार किया। कुछ काल के पश्चात उसके गर्भ से अग्नि के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम सुदर्शन रखा गया।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 116 |