ब्रह्म वैवर्त पुराण
प्रकृतिखण्ड : अध्याय 57-61
ब्रह्मा से लेकर तृण अथवा कीटपर्यन्त सम्पूर्ण जगत कृत्रिम होने के कारण मिथ्या ही है, परंतु दुर्गा सत्यस्वरूपा हैं। जैसे भगवान सत्य हैं, उसी तरह प्रकृति देवी भी ‘सत्या’ हैं। सिद्ध, ऐश्वर्य आदि के अर्थ में ‘भग’ शब्द का प्रयोग होता है, ऐसा समझना चाहिये। वह सम्पूर्ण सिद्ध, ऐश्वर्यादिरूप भग प्रत्येक युग में जिनके भीतर विद्यमान है, वे देवी दुर्गा ‘भगवती’ कही गयी हैं। जो विश्व के सम्पूर्ण चराचर प्राणियों को जन्म, मृत्यु, जरा आदि की तथा मोक्ष की भी प्राप्ति कराती हैं, वे देवी अपने इसी गुण के कारण ‘सर्वाणी’ कही गयी हैं। ‘मंगल’ शब्द मोक्ष का वाचक है और ‘आ’ शब्द दाता का। जो सम्पूर्ण मोक्ष देती हैं, वे ही देवी ‘सर्वमंगला’ हैं। ‘मंगल’ शब्द हर्ष सम्पत्ति और कल्याण के अर्थ में प्रयुक्त होता है। जो उन सबको देती हैं, वे ही देवी ‘सर्वमंगला’ नाम से विख्यात हैं। ‘अम्बा’ शब्द माता का वाचक है तथा वन्दन और पूजन-अर्थ में भी ‘अम्ब’ शब्द का प्रयोग होता है। वे देवी सबके द्वारा पूजित और वन्दित हैं तथा तीनों लोकों की माता हैं, इसलिये ‘अम्बिका’ कहलाती हैं। देवी श्रीविष्णु की भक्ता, विष्णुरूपा तथा विष्णु की शक्ति हैं। साथ ही सृष्टिकाल में विष्णु के द्वारा ही उनकी सृष्टि हुई है। इसलिये उनकी ‘वैष्णवी’ संज्ञा है। ‘गौर’ शब्द पीले रंग, निर्लिप्त एवं निर्मल परब्रह्म परमात्मा के अर्थ में प्रयुक्त होता है। उन ‘गौर’ शब्दवाच्य परमात्मा की वे शक्ति हैं, इसलिये वे ‘गौरी’ कही गयी हैं। भगवान शिव सबके गुरु हैं और देवी उनकी सती-साध्वी प्रिया शक्ति हैं। इसलिये ‘गौरी’ कही गयी हैं। श्रीकृष्ण ही सबके गुरु हैं और देवी उनकी माया हैं। इसलिये भी उनको ‘गौरी’ कहा गया है। ‘पर्व’ शब्द तिथिभेद (पूर्णिमा), पर्वभेद, कल्पभेद तथा अन्यान्य भेद अर्थ में प्रयुक्त होता है तथा ‘ती’ शब्द ख्याति के अर्थ में आता है। उन पर्व आदि में विख्यात होने से उन देवी की ‘पार्वती’ संज्ञा है। ‘पर्वन’ शब्द महोत्सव-विशेष के अर्थ में आता है। उसकी अधिष्ठात्री देवी होने के नाते उन्हें ‘पार्वती’ कहा गया है। वे देवी पर्वत (गिरिराज हिमालय) की पुत्री हैं। पर्वत पर प्रकट हुई हैं तथा पर्वत की अधिष्ठात्री देवी हैं। इसलिये भी उन्हें ‘पार्वती’ कहते हैं। ‘सना’ का अर्थ है सर्वदा और ‘तनी’ का अर्थ है विद्यमाना। सर्वत्र और सब काल में विद्यमान होने से वे देवी ‘सनातनी’ कही गयी हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
अध्याय | विषय | पृष्ठ संख्या |