बलवाहक

बलवाहक भगवान श्रीकृष्ण के रथ में जोते जाने वाले चार अश्वों में से एक था।[1]

  • विदर्भ नरेश भीष्मक ने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ करने का निश्चय कर लिया था। रुक्मिणी द्वारा भेजे गए ब्राह्मण दूत के द्वारा मधुसूदन श्रीकृष्ण ने यह जान लिया कि रुक्मिणी के विवाह की लग्न परसों रात्रि ही है। तब उन्होंने अपने सारथि दारुक को आज्ञा दी कि तनिक भी विलम्ब न करके रथ जोत लाओ। दारुक भगवान के रथ में 'शैव्य', 'सुग्रीव', 'मेघपुष्प' और 'बलवाहक' नाम के चार घोड़े जोतकर उसे ले आया। शूरनन्दन श्रीकृष्ण ब्राह्मणदेवता को पहले रथ पर चढ़ाकर फिर आप भी सवार हुए और उन शीघ्रगामी घोड़ों के द्वारा एक ही रात में आनर्त-देह से विदर्भ देश में जा पहुँचे थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीमद्भागवत महापुराण दशम स्कन्ध अध्याय 53 श्लोक 1-17

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