बृहद्बल पुराण उल्लेखानुसार देवभाग, जो कि वसुदेव जी के छोटे भाई थे[1], के पुत्र थे। ये चित्रकेतु के भाई थे। चित्रकेतु तथा बृहद्बल का जन्म कंसा के गर्भ से हुआ था।[2]
- वसुदेव की पुत्री सुभद्रा का जन्म कारागार से बाहर हुआ, लेकिन वसुदेव जी अपने ब्रज में बस रहे पुत्रों के चिंतन में रहे। उनकी किसी पत्नी से उस काल में, राम-श्याम के ब्रज में रहते कोई संतान नहीं हुई। इस काल में वसुदेव के भाइयों में अनेकों पुत्र हुए। मथुरा में और मथुरा के बाहर जहाँ उन्होंने शरण ली थी, वहाँ भी हुए।[3]
- वसुदेव के छोटे भाई देवभाग के पुत्र बृहद्बल का ही नाम उद्धव है और वे श्रीकृष्ण से कुछ माह ही छोटे थे।
- देवभाग पर कृपा करके देवराज इंद्र उनके पुत्र बृहद्बल को शैशव समाप्त होते ही अमरावती ले गए। वहाँ देवगुरु वृहस्पति के द्वारा उद्धव को शिक्षा मिली।
- बृहद्बल कंस वध के पश्चात् मथुरा में यादवों के प्रमुख मंत्री और श्रीकृष्ण के अंतरंग सखा बन गए।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 357 |
- ↑ भागवतपुराण 9.24.40
- ↑ भगवान वासुदेव -सुदर्शन सिंह चक्र पृ. 244
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