जयंती | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जयंती (बहुविकल्पी) |
जयंती उस रात्रि को कहा गया है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।[1][2]
- भविष्यपुराण के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास कहा गया है। यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो 'जयंती' नाम से संबोधित की जाएगी।[3]
- पुराण का वचन है कि कृष्ण पक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाएगा। अतः उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ब्रह्मांडपुराण 3.71.205; वायुपुराण 96.201
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 182 |
- ↑ कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा