क्षुद्रभूत

क्षुद्रभूत देवकी के उन छ: पुत्रों में से एक था, जिन्हें कंस ने मारा था।

  • देवकी के जिन छ: पुत्रों को कंस ने मारा था, उनके नाम निम्न प्रकार थे-
  1. स्मर
  2. उद्गीय
  3. पतंग
  4. परिष्वंग
  5. क्षुद्रभूत
  6. धृणी
  • सुतल में जाकर भगवान श्रीकृष्णबलराम ने राजा बलि से इन छ: पुत्रों को प्राप्त किया और वहाँ से अदृश्य हो गये। जब बलराम-कृष्ण द्वारिका में प्रकट हुए तो उनके साथ 6 बालक थे। उनका रूप-रंग आकार वही था, जो ब्रह्मलोक में पहले था। उनकी आयु में परस्पर एक वर्ष का अन्तर था। उन छ: बालकों को देखकर माता का वात्सल्य उमड़ पड़ा था, उन्होंने एक साथ उन 6 को अंक में बैठा लिया और बारी-बारी से दुग्ध-पान कराने लगीं। उन सभी ने माता का दुग्धपान किया और अंक से उठकर तत्काल युवा शरीर हो गये। 'दिव्य ज्योतिर्मय देह, वस्त्राभरण भूषित देवता। माता देवकी, वसुदेव जी तथा बलराम-कृष्ण की उन्होंने पद-वन्दना, परिक्रमा की और हाथ जोड़कर बोले- 'आपके अनुग्रह से आज हम शापमुक्त हुए। उसके पश्चात् जाने की अनुमति प्रदान की और अदृश्य हो गये।'[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री द्वारिकाधीश -सुदर्शन सिंह चक्र पृ. 172

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