याज्ञवल्क्य

याज्ञवल्क्य को वैदिक मन्त्रद्रष्टा ऋषियों तथा उपदेष्टा आचार्यों में सर्वोपरि स्थान प्राप्त है। ये महान अध्यात्मवेत्ता, योगी, ज्ञानी, धर्मात्मा तथा श्रीराम की कथा के मुख्य प्रवक्ता थे। भगवान सूर्य देव की प्रत्यक्ष कृपा इन्हें प्राप्त थी। पुराणों में इन्हें ब्रह्मा जी का अवतार बताया गया है। श्रीमद्भागवत[1] में आया है कि ये देवरात के पुत्र थे।

  • महर्षि याज्ञवल्क्य के द्वारा वैदिक मन्त्रों को प्राप्त करने की रोचक कथा पुराणों में प्राप्त होती है। तदनुसार याज्ञवल्क्य वेदाचार्य महर्षि वैशम्पायन के शिष्य हुए थे। इन्हीं से उन्हें मन्त्र शक्ति तथा वेद आदि का ज्ञान प्राप्त हुआ था।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीमद्भागवत 12।6।64

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः