याज हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुसार काश्यप-गोत्रोत्पन्न एक ऋषि थे, जो उपयाज के बड़े भाई थे।
- ये परम शान्त और परमेष्ठी ब्रह्मा के तुल्य प्रभावशाली थे।
- याज वैदिक संहिता के अध्ययन में सदा संलग्न रहते थे।
- ऋषि याज ब्राह्मण सूर्यदेव के भक्त तथा बड़े ही योग्य श्रेष्ठ ऋषि थे। [1]
- यह राजा द्रुपद के पुत्रेष्टियज्ञ के ऋत्विज थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 89 |
- ↑ महाभारत आदि पर्व अध्याय 166 भाग-1
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