भक्तिमार्ग के सिद्धान्तानुसार 'भक्त' उसे कहा जाता है, जिसने ईश्वर के भजन में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया हो। साधारण आत्माओं को चार भागों में विभक्त किया गया है-
- बद्ध - जो इस जीवन की समस्याओं से बँधा है।
- मुमुक्षु - जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है।
- भक्त अथवा केवली - जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और
- मुक्त - जो भगवन - पद को प्राप्त कर चुका हो।
- कुछ प्रमुख भक्तों के नाम निम्नलिखित हैं-
क्र.सं. | भक्त | क्र.सं. | भक्त | क्र.सं. | भक्त |
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1. | चैतन्य महाप्रभु | 2. | सूरदास | 3. | मीरां |
4. | रसखान | 5. | वल्लभाचार्य | 6. | निम्बार्काचार्य |
7. | नरसी मेहता | 8. | रूप गोस्वामी | 9. | सनातन गोस्वामी |
10. | जीव गोस्वामी | 11. | कृष्णदास कविराज | 12. | स्वामी हरिदास |
13. | हरिदास ठाकुर | 14. | हितहरिवंश | 15. | नित्यानन्द |
16. | वृन्दावनदास ठाकुर | 17. | कुम्भनदास | 18. | परमानंद दास |
19. | कृष्णदास | 20. | गोविंदस्वामी | 21. | नंददास |
22. | छीतस्वामी | 23. | चतुर्भुजदास | 24. | - |
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