हरिमेधा का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है, महाभारत आदि पर्व के अनुसार यह एक प्राचीन राजर्षि का नाम है, जिनके यज्ञ के समान जनमेजय का यज्ञ बतलाया गया है।[1]
- महाभारत उद्योग पर्व के अनुसार हरिमेधा की कन्या का नाम ध्वजवती था, जिसका पश्चिम दिशा में निवास बतलाया गया है।[2]
- उत्तर ईरानी पारसी धर्म के अनुसार ‘अहुरमज्द’ ईरानियों के सबसे बड़े देव हैं। उन्हें सासानी युग की पहलवी भाषा में ‘हरमुज’ कहा गया। उन्हीं के लिए गुप्त युग की संस्कृत भाषा में ‘हरिमेधस्’ या हरिमेधा नाम का प्रयोग हुआ है। देव ‘हरिमेधस्’ का उल्लेख पश्चिम दिशा के सम्बन्ध में कितनी ही बार शान्ति पर्व के अन्तर्गत नारायणीय पर्व में भी आया है।[3] वस्तुतः शक-कुषाण काल में सूर्य पूजा के साथ हरिमेधस देव और उनके धर्म का साक्षात परिचय भारतवासियों को प्राप्त हुआ था।[4]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 548 |
- ↑ महाभारत आदि पर्व 55.3
- ↑ महाभारत उद्योग पर्व 11.13
- ↑ 323।12, 325।4, 335।8 आदि
- ↑ भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल पृ. 413
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