जरत्कारु | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जरत्कारु (बहुविकल्पी) |
जरत्कारु हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार जरत्कारु ऋषि की पत्नी तथा वासुकि की बहन थी तथा सभी नाग इनका सम्मान करते हैं। महाभारत आदि पर्व के अनुसार वासुकि ने स्वंय अपनी बहन को जरत्कारु ऋषि की सेवा में समर्पित किया था।[1]
- जरत्कारु को प्रकृति देवी का एक अन्य प्रधान अंश कहा जाता है।
- ये कश्यप ऋषि की मानस पुत्री है, अतः इनको ‘मनसा देवी’ भी कहा जाता हैं।
- जरत्कारु भगवान शंकर की प्रिय शिष्या होने का सौभाग्य प्राप्त है तथा ये परम विदुषी हैं।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 49 |
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