प्रबुद्ध हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुसार ऋषभदेव तथा जयन्ती के सौ पुत्रों में से एक थे।[1]
- प्रबुद्ध भगवान विष्णु के भक्त थे।
- इन्होंने निमि को ‘माया’ से छुटकारा पाने का उपाय बताया था।
- इनके भ्राता भरत, कुशावर्त, ब्रह्मावर्त्त, मलय, केतु, भद्रसेन, इंद्रस्पृक, विदर्भ और कीकट थे, जो प्रथक प्रथक देशों के नरेश थे। इनके देश इनके नाम से ही प्रसिद्ध हुए। यह सभी नरेश तपस्वी व भगवद्भक्त थे।
- उपरोक्त राजकुमारों के अतिरिक्त, कवि, हरि, अंतरिक्ष, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रमिल, चमस और करभाजन नाम के राजकुमार योगी एवं संन्यासी हो गए, बाकी इक्यासी वेदज्ञ वेदान्ती, कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक चरित्र |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञान मण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 334 |
- ↑ गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 6