हिन्दू

हिन्दू अथवा 'हिन्दु' शब्द का पर्याय है, हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाला। उसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह किसी विशेष मत-मतान्तर का मानने वाला हो। सामाजिक जीवन में हिन्दू की बाहरी पहचान सिर्फ़ इस बात से होती है कि वह जाति-व्यवस्था को मानता है।

भारतवर्ष में बसने वाली प्राचीन जातियों का सामूहिक नाम हिन्दू तथा उनके समष्टिवादी धर्म का भाव हिन्दुत्व है। जब मुसलमान आक्रमणकारी जातियों ने इस देश में अपना राज्य स्थापित किया और बसना प्रारम्भ किया, तब वे मुसलमानों से इतर लोगों को अपने से पृथक करने के लिए सामूहिक रूप से हिन्दू तथा उनके धर्म को हिन्दू मज़हब (धर्म) कहने लगे। यूरोपीयों और अंग्रेज़ों ने भी इस परम्परा को जारी रखा। उन्होंने भारतीय जनता को छिन्न-भिन्न रखने के लिए उसको दो भागों बाँटा- मुस्लिम तथा ग़ैर मुस्लिम अर्थात् 'हिन्दू'। इस प्रकार आधुनिक यात्रावर्णन, इतिहास, राजनीति, धर्म विवरण आदि में भारत की मुस्लिमेतर जनता का नाम 'हिन्दू' तथा उनके धर्म का नाम 'हिन्दू धर्म' प्रसिद्ध हो गया।

इसमें सन्देह नहीं कि 'हिन्दू' शब्द भारतीय इतिहास में अपेक्षाकृत बहुत अर्वाचीन और विदेशी है। प्राचीन संस्कृत साहित्य में इसका प्रयोग नहीं मिलता। एक अत्यन्त परवर्ती तन्त्रग्रन्थ, 'मेरुतन्त्र' में इसका उल्लेख पाया जाता है। इसका सन्दर्भ निम्नांकित है-

पंचखाना सप्तमीरा नव साहा महाबला:।
हिन्दूधर्मप्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिन:।।
हीनं दूशयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये।
पूर्वाम्नाये नवशतां षडशीति: प्रकीर्तिता:।।[1]


उपर्युक्त सन्दर्भ में 'हिन्दू' शब्द की जो व्युत्पत्ति दी गई है, वह है- 'हीनं दूषयति स हिन्दू' अर्थात् जो हीन (हीनता अथवा नीचता) को दूषित समझता (उसका त्याग करता) है, वह हिन्दू है। इसमें सन्देह नहीं कि यह यौगिक व्युत्पत्ति अर्वाचीन है, क्योंकि इसका प्रयोग विदेशी आक्रमणकारियों के सन्दर्भ में किया गया है।

देवी-देवता

हिन्दुओं में असंख्य देवी-देवताओं की पूजा-आराधना की जाती है। इनके निमित्त हिन्दू पुरुष और स्त्रियाँ विभिन्न व्रत आदि भी करते हैं। हिन्दू धर्म में मान्य कुछ प्रमुख देवी-देवताओं के नाम निम्नलिखित हैं-

देवी- उमा, काली, दुर्गा, पार्वती, लक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, स्वाहा, योगमाया, संतोषी, चामुंडा तथा ऋद्धि सिद्धि आदि।

देवता- ब्रह्मा, विष्णु, महेश, अग्निदेव, अश्विनीकुमार, इन्द्र, कामदेव, कार्तिकेय, गणेश, गरुड़, चंद्र, विश्वेदेव, आदित्यगण, बलराम, यमराज, सूर्य, शनि, हनुमान, वरुण, वायु, विष्णु तथा सोमदेव आदि।

अवतार- कल्कि, कूर्म, कृष्ण, बुद्ध, नृसिंह, परशुराम, मत्स्य, राम, वराह, वामन।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मेरुतन्त्र, 33 प्रकरण

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