मदिराक्ष | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मदिराक्ष (बहुविकल्पी) |
मदिराक्ष नामक एक वीर का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। 'महाभारत विराट पर्व'[1] के अनुसार यह मत्स्य नरेश विराट का चक्ररक्षक था।
- 'महाभारत विराट पर्व' में उल्लेख मिलता है कि कुन्ती पुत्र भीम ने सुशर्मा के पास पहुँचकर उत्तम बाणों से उसके घोड़ों को मार डाला। साथ ही उसके पृष्ठरक्षकों को भी मारकर कुपित हो उसके सारथि को भी रथ से नीचे गिरा दिया।
- सुशर्मा को रथहीन हुआ देखकर राजा विराट के चक्ररक्षक सुप्रसिद्ध वीर मदिराक्ष भी वहाँ आ पहुँचे और त्रिगर्तनरेश पर बाणों से प्रहार करने लगे।
- इसी बीच में बलवान राजा विराट सुशर्मा के रथ से कूद पड़े और उसकी गदा लेकर उसी की ओर दौड़े। उस समय हाथ में गदा लिये राजा विराट बूढ़े होने पर भी तरुण के समान रणभूमि में विचर रहे थे। इसी समय अवसर पाकर त्रिगर्तराज भाग खड़ा हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 82 |