पंचक कुमार कार्तिकेय के असंख्य अनुचरों में से एक का नाम है। इसका उल्लेख पौराणिक महाकाव्य 'महाभारत' के शल्य पर्व में मिलता है।[1]
- 'महाभारत शल्य पर्व' में कुमार कार्तिकेय के अभिषेक, उनके महापार्षदों के नाम तथा रूप आदि का वर्णन हुआ है। यहाँ उल्लेख मिलता है कि कुमार कार्तिकेय के अभिषेक समारोह में असंख्य देवी-देवता आदि उपस्थित हुए थे, जिन्होंने कुमार को अनुचर प्रदान किये।
- शत्रुवीरों का संहार करने वाले इन्द्र ने भी अग्नि कुमार स्कन्द (कुमार कार्तिकेय) को 'उत्क्रोश' और 'पंचक' नामक दो अनुचर प्रदान किये थे। वे दोनों क्रमशः वज्र और दण्ड धारण करने वाले थे। उन दोनों ने समरांगण में इन्द्र के बहुत-से शत्रुओं का संहार कर डाला था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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