पिंगला

पिंगला का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, जिसके अनुसार यह विदेह की एक वृद्ध वेश्या का नाम था।

  • इस वेश्या की कथा भागवत में भी है। यह कथा यदु को अवधूत द्वारा सुनायी गयी थी।
  • पिंगला नित्य वेश्या कर्म से जीविका कमाती थी। एक दिन बहुत प्रतीक्षा के पश्चात् भी कोई ग्राहक नहीं आया। अपने जीवन से पिंगला को बड़ी ग्लानि हुई और भगवदभजन करने लगीं जिससे उसे शांति मिली थी[1]
  • युधिष्ठिर को मोक्ष धर्म समझाते समय भीष्म ने भी पिंगला वेश्या का उल्लेख किया है।[2]
  • सांख्य सूत्र में भी निराश सुखी 'पिंगलावत' लिखा मिलता है। जीवन सम्बन्धी 'पिंगला' का दष्टिकोण गोपियों ने उद्धव से कहा था।[3][4]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भागवतपुराण 11.8.22.44
  2. महाभारत
  3. भागवतपुराण 10.47.47
  4. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 304 |

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