याज्ञसेनी महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक द्रौपदी का ही अन्य नाम था, जो कि राजा द्रुपद की पुत्री थी।
- पांचाल नरेश द्रुपद ने संतान प्राप्ति हेतु 'याज' और 'उपयाज' नाम के ब्रह्म-ऋषियों से श्रोताग्नि यज्ञ कराया। याज्ञावधि पूर्ण होने पर इस यज्ञ की अग्नि से एक भीमाकृति कवचधारी, धनुष-बाण धारण किए देव सदृश कुमार उत्पन्न हुआ, जिसका नाम धृष्टद्युम्न रखा गया।
- यज्ञाग्नि से धृष्टद्युम्न के प्रकट होने के पश्चात यज्ञ वेदी से एक श्यामांगी कुमारी प्रगट हुई और उसके प्रगट होने पर आकाशवाणी हुई कि- "यह कन्या कौरव कुल के नाश का कारण बनेगी।" पांचाल देश की तथा द्रुपद की कन्या होने के कारण यह 'पांचाली', 'याज्ञसेनी' एवं 'द्रौपदी' नाम से प्रख्यात हुई।[1]