ऋषिकुल्या

ऋषिकुल्या भारत की एक नदी, जिसका उल्लेख पुराणों आदि में हुआ है-

'ऋषिकुल्यां समासाद्य वासिष्ठं चैव भारत'; 'ऋषिकुल्यां समासाद्य नर: स्नात्वा विकल्मष:।'[1]
  • महाभारत के उपरोक्त प्रसंग में हिमालय के तीर्थों का वर्णन है। ऋषिकुल्या नदी को यहाँ भृगुतुंग के निकट प्रवाहित होने वाली सरिता बताया गया है।[2] भृगुतुंग केदारनाथ के निकट तुंगनाथ है।
  • अनुमान है कि ऋषिकुल्या गढ़वाल के पहाड़ों में बहने वाली ऋषिगंगा है।
  • भीष्म पर्व[3]में भी ऋषिकुल्या का उल्लेख है-
'कुमारी मृषिकुल्यां च मारिषां च सरस्वतीम्।'
  • दक्षिणी उड़ीसा-कलिंग की एक नदी, जो विंध्याचल के पूर्वी भाग की पहाड़ियों से निकल कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। श्रीमद्भागवत में इसका उल्लेख है-
'महानदी वेदस्मृतिऋषिकुल्या त्रिसामाकौशिकी।[4]
'ऋषिकुल्या कुमाराद्या: शुक्तिमत्पादसंभवा:।'


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, वनपर्व, 84-48-49
  2. वन पर्व 84, 50
  3. भीष्म पर्व 9, 36
  4. श्रीमद्भागवत 5, 19,18
  5. विष्णु पुराण 2,3,14

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