एकपर्वतक

एकपर्वतक नामक एक प्राचीन प्रदेश का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है-

'गंडकी च महाशोणं सदानीरां तथैव च,
एकपर्वतके नद्य: क्रमेणैत्याव्रजन्तते'।[1]

अर्थात् "कृष्ण, अर्जुन और भीम इंद्रप्रस्थ से गिरिव्रज (मगध, बिहार) जाते समय गंडकी, महाशोण, सदानीरा एवं एकपर्वतक की सब नदियों को पार करते हुए आगे बढ़े।"

  • महाभारत सभापर्व के उपरोक्त उल्लेख से 'एकपर्वतक' उस प्रदेश का नाम जान पड़ता है, जिसमें उपर्युक्त नदिया बहती थीं, अर्थात् बिहार-उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती भाग।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, सभापर्व 20, 27
  2. गंडकी=गंडक, महाशोण=सोन, सदानीरा=राप्ती

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